Kavita Jha

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अगर शब्दों के पंख होते #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -16-May-2022

अगर शब्दों के पंख होते... छंद मुक्त 

अगर शब्दों के भी पंख होते
वो नील गगन में खाते गोते

पंछी की तरह ही उड़ते फिरते
सिर्फ पन्नों पर न बिखरे रहते

झटपट पहुंच जाते वहां
मंजिल उनकी है जहां

सिसकियां दबी शब्दों में
उड़ जाती गगन में

डाकिए का तब काम न होता
वो तो कंबल तान चैन से सोता

अब तो इस..
इंटरनेट के इस युग में
शब्दों को हैं पंख मिले
झट से पहुंच जाते संदेश
चाहे देश हो या विदेश
***
कविता झा'काव्या कवि'

#लेखनी

##लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता

16.05.2022


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12 Comments

Saba Rahman

24-May-2022 09:28 PM

Nyc

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Anam ansari

17-May-2022 09:29 PM

👌👌

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Fareha Sameen

17-May-2022 09:10 PM

Nice

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